
कुछ गुनगुने से दिल की दस्तक है तो आज माथे पे ज़ुल्फ़ें संवार कर निकल।
हाथों में चूड़ी और होठों पर लाली, आईने को दो बार चूम कर निकल।
सुरमई नैनों में दो-चार को गिरफ़्तार होने की इजाज़त दे दे,
ज़माने को भूल कर, ख़ुद पर ऐतबार कर निकल।
From the pen of the Kamthan khandan's Chirags :) A family that writes together...stays together :)